एक कविता माँ को....कलम रो पड़ी
माँ काश मैं आज स्कूल ना जाता..,
शायद तुम्हे फिर से देख पाता..!
तेरी आवाज सुनने को कान तरस रहे है...
देखो ना माँ बारूदो के गोले बरस रहे है..!!
सारे बच्चे अपनी अपनी माँ को पुकार रहे है..
माँ ये लोग हमें क्यू मार रहे है..!!
टिफिन में दी तुम्हारी रोटी भी नहीं खायी है..
माँ आज गोलियों ने मेरी भूख मिटाई है..!!
पापा से कहना अब मुझे स्कूल लेने ना आये...
देख नही पाऊंगा उन्हें मेरा जनाजा उठाये...!!
मेरे जाने से अपना होसला मत खोना..
माँ मुझसे बिछड़ कर तुम मत रोना..!!
मेरे खिलोने,मेरी किताबे,मेरा बस्ता,
जानता हु तेरी आँखे देखती रहेगी रोज मेरा रस्ता..!!
भैया से कहना उसका साथी रूठ गया है..
बचपन का हमारा साथ छुट गया हैं..!!
अप्पी से कहना मेरे लिए आंसू ना बहाए..
रोज़ मेरी तस्वीर को छोटा सा फूल चढ़ाये..!!
तेरी यादो में,ख्वाबों में,जिक्र में रह जाऊंगा..
माँ मैं अब कभी वापस नहीं आऊंगा..
माँ मैं अब कभी वापस नहीं आऊंगा..!!